Wednesday, November 9, 2016

500 and 1000 notes Banned in India


Prime Minister Narendra Modi has called an emergency address speech, where he revealed to the country that 500 and 1000 rupee notes are to be discontinued from midnight today. I know how defective decision it is but it is true and will be staunch decision of striking off usage of 1000 and 500 Rupee notes currency in India. This decision has been made by the present government under the PM who says, IMF and World Bank states India is an economic star now.

Every citizen will be allowed to withdraw 10,000 Rupees from Bank or ATM per day and 30,000 per week which seems to be less. This ban on notes can be major stroke on Indian economy but we will, have to wait and watch how it turns out to be.
Why India Banned 500 and 1000 Rupee Notes

India Banned 500rs & 1000rs Notes from Today

India has made a strict decision of banning regular 500 and 1000 rupee notes from circulation which is a result of finding 1.25 lakh crore black money. Indian government believes that by taking this decision we can hit black markets down and you would be least circulation of black money and fraud would not take place.

Indian Announces 2000 Rupee Note Circulation

Instead of 500 and 1000 Rupee notes RBI will be issuing 2000 rupee notes which will be a regular currency circulation over India.

All those people who are worrying what to do with the stacks of 500 and 1000 notes, need not to glaze and run punching on the government. Because they have released a statement saying that all the remaining 500 and 1000 rupees notes are to be deposited at neat by Post Offices
Well Indian finance is sure going to face chaos by the demoing plans of our beloved Prime Minister Narendra Modi. So, most of you might be wondering what more topics have been discussed and stated during this speech. So I have posted all of them below.
• Sab ka sarkaar, sab ka vikas – governance and progress for all is our motto. We are focused on empowerment of the poor. A series of schemes we have introduced all aim at this. This is a government for our farmers.
• Corruption and black money are diseases rooted in this country, they are obstacles to our success.
• We are among fastest-growing economies, but we also rank so high in global corruption rankings.
• Terror strikes at the innocent. Who funds these terrorists? Across the border, our enemy uses fake currency and dodgy funds to sponsor terror – this has been proven repeatedly.
• Terror strikes at the innocent. Who funds these terrorists? Across the border, our enemy uses fake currency and dodgy funds to sponsor terror – this has been proven repeatedly.
• When you elected this government in 2014, world was talking about India being shaky economically. But India is now an economic star – this is what IMF and World Bank are saying.
Commoners over social media networks like Facebook and Twitter has started trolling the decision made by Indian government Prime Minister Narendra Modi. This issue might seem going easy but would turn into a chaos if government takes no necessary steps to circulate money correctly.





Sunday, November 6, 2016

DIMMPLE IN KAMAR


आपने गालों पर डिंपल होना तो सुना ही होगा लेकिन क्या कमर पर डिंपल सुना है। शायद नहीं लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि कमर पर भी डिंपल होते हैं। इतना ही नहीं ये डिंपल् काफी फायदेमंद होते हैं। ऐसे में आज आप भी देखिए कहीं आपकी कमर पर तो नहीं...
एक और जगह पर
अक्सर गालों पर दो प्राकृतिक रूप से छेद जैसे निशान होते हैं उन्हें डिंपल कहते हैं। कहते हैं कि ये डिंपल खूबसूरत या फिर लकी लोगों के चेहरे पर ही होते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये डिंपल शरीर में एक और जगह पर भी होते हैं। जी हां वह जगह है आपकी खूबसूरत सी कमर। जिसके बारे में कम ही लोगों को पता होता है। कमर के निचले हिस्से में होने वाले डिंपल काफी फायदेमंद होते हैं। ये बेहद लकी लोगों के ही होते हैं। इनके होने के पीछे के मुख् कारणों में अनुवांशिक लक्षण भी हो सकते हैं। यह रीढ की हड्डी के दोनों ओर कमर पर होते हैं।

फिगर काफी अच्छा
सबसे खास बात तो यह है कि जिन लोगों को ये डिंपल होते हैं उन्हें डिंपल ऑफ़ वीनस के नाम से या फिर डिंपल ऑफ अपोलो पुकारा जाता है। कहा जाता है कि इनकी स्किन काफी मुलायम और अच्छी होती है। इनका फिगर भी काफी अच्छा बना होता है। इसके अलावा इनकी सेक् लाइफ दूसरे लोगों से काफी बेहतर और अलग होती है। सबसे खास बात तो यह है कि अक्सर गालों पर डिंपल तो लोग ऑपरेशन आदि से बनवा लेते हैं लेकिन यहां पर यह संभव नहीं होता है। जिससे अगर आपकी भी कमर पर ये डिंपल हैं तो समझे आप भी उन लकी लोगों में से एक हैं।


Tuesday, November 1, 2016

कैसे अपने नवजात शिशु की देखभाल करें

तो आप अपने नवजात शिशु को घर ले आये हैं -- अब क्या? हालांकि अपने शिशु की देखभाल करना आपके जीवन के सबसे खास और पुरस्कृत अनुभवों में से एक हो सकता है, लेकिन आपको यह समझ नही आएगा की आपको क्या करना है ? आपको अपने बच्चे को निरंतर देख-भाल और ध्यान देने की आवश्यकता होगी। एक नवजात शिशु की देखभाल करने के लिए, आपको यह जानने की आवश्यकता होगी की जो आपके बच्चे को आराम, जीविका और ध्यान की ज़रूरत है वह कैसे दें -- साथ ही में प्यार और स्नेह की एक स्वस्थ खुराक दें ।

  1. 1
    बच्चे को सुलाएं: नवजात शिशुओं को स्वस्थ और मजबूत बनना जारी रखने के लिए बहुत सारे आराम की ज़रूरत होती है -- कुछ बच्चे एक दिन में 16 घंटे आराम कर सकते हैं। हालांकि एक बार आपका बच्चा तीन महीने का या उससे बड़ा हो जाए तो, वह एक समय में 6-8 घंटे तक सोने में सक्षम होता है, प्रारंभ में, आपका बच्चा एक बार में केवल 2-3 घंटे के लिए सोता है और यदि उसने 4 घंटे से कुछ खाया नही है तो उसको नींद से उठाना पड़ता है।
    • कुछ बच्चो को पैदा होने पर दिन और रात में भ्रम होता है। यदि आपका बच्चा रात में अधिक सक्रीय है तो, रात्रि उत्तेजना को सीमित करने के लिए रोशनी मंद रखें और धीमे बात करें, और तब तक तक धैर्य रखें जब तक आपके बच्चे का नींद का चक्र सामान्य नही हो जाता।
    • यह सुनिश्चित करें की आप अपने बच्चे को उसकी पीठ के बल लिटाते हैं ताकि सिड्स (SIDS) का जोखिम कम हो सके।
    • आपको अपने बच्चे के सिर की स्थिति बदलते रहनी चाहिए -- चाहे उसका झुकाव बायीं तरफ हो या फिर दायीं -- ताकि वह "नरम जगह" को दूर कर सकें, जो की बच्चे के एक ही स्थिति में सोने की वजह से उसके चेहरे पर हो सकता है।
    2
    अपने नवजात शिशु के स्तनपान पर विचार करें: यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान करवाना चाहती हैं, तो उसकी सबसे अच्छी शुरुवात तब होगी जब पैदा होने के बाद आप उसे पहली बार अपनी गोद में लें और स्तनपान करवाएं। आप अपने शिशु का शरीर अपनी तरफ करें, ताकि आप उसकी छाती को अपनी छाती की ओर पकड़ें। अपने निप्पल के साथ उसके ऊपरी होंठ को स्पर्श करें और वह अपना मुंह खोले तो उसे अपने स्तन की ओर खींच लें। जब वो ऐसा करे, उसके मुँह को आपका निप्पल कवर करना चाहिए और वह भी जितना ज़्यादा घेरा संभव हो उतना। यहाँ ऐसी कुछ बातें हैं जो आपके बच्चे को स्तनपान कराने के बारे में आपको पता होना चाहिए:[१]
    • यदि बच्चे को पर्याप्त भोजन मिल रहा है तो, वह एक दिन में 6-8 डायपर गीले करेगा ,वह भी स्थिर मल के साथ,उसके जागने पर सतर्क रहे। उसका वजन भी तेज़ी से बढ़ेगा।
    • यदि आपको शुरुवात में अपने बच्चे को खिलाने में कठिनाई हो रही है तो तनाव मत लें; इसके लिए धैर्य और अभ्यास की ज़रूरत होती है। आप एक नर्स या एक स्तनपान सलाहकार (जो की जन्म से पहले सहायक हो सकता है) से मदद ले सकते हैं।
    • यह जान लें की नर्सिंग कष्टदायक नही होती । यदि लैच-ओन से दर्द हो तो, अपने बच्चे के मसूड़ों और अपने स्तन के बीच अपने पिंकी उंगली रखकर सक्शन तोड़ें और इस प्रक्रिया को दोहराएं।
    • आपको अपने बच्चे के जन्म के पहले 24 घंटों के दौरान 8-12 बार स्तनपान करवाना चाहिए। आपको इसके लिए एक सख़्त सारणी बनाने की ज़रूरत नही, पर जब भी आपका शिशु भूख के लक्षण दिखाए तो उसे स्तनपान करवाना चाहिए , जैसे की मुह की हरकतों में वृद्धि और निप्पल की तलाश में गतिविधि करना। आपको हर कुछ घंटों में स्तनपान करवाना चाहिए, यहाँ तक की ज़रूरत पड़ने पर उसे धीरे से उठा कर स्तनपान करवाएं।
    • सुनिश्चित करें की आप आराम से बैठे हों। स्तनपान के लिए 40 मिनट तक का समय लग सकता है, इसलिए एक आरामदायक स्थान चुनें ताकि स्तनपान करवाते समय आपकी पीठ को सहारा मिले।
    • एक स्वस्थ और संतुलित आहार लें। हाइड्रेटेड रहे और सामान्य से अधिक भूख लगने के लिए तैयार रहे व उसका पालन करें । शराब या कैफीन का सेवन सीमित करें क्यूंकि वह आपके स्तन के दूध में प्रवेश कर सकता है।
    3
    शिशु को बोतल से फीड करें: बच्चे को स्तनपान करवाना है या फिर फार्मूला फीड करवाना है यह एक व्यक्तिगत निर्णय है। जहाँ कुछ अध्ययन ये बताते हैं की स्तनपान आपके बच्चे के लिए स्वास्थवर्धक होता है, वहीँ आपको निर्णय लेने से पहले अपने स्वस्थ्य, सुविधा और अन्य कारकों के ऊपर विचार करना चाहिए। फार्मूला फीडिंग से यह जानना आसान हो जाता है की आपने अपने बच्चे को कितना खिला लिया है, ताकि आप खाने की मात्रा सीमित कर सकें, और आपको अपने भोजन को प्रतिबंधित न करना पड़े। अगर आप अपने बच्चे को फार्मूला फीड करने का निर्णय लेती हैं तो आप निम्नलिखित बातें जानना चाहेंगी:[२]
    • जब आप फार्मूला फीड तैयार करने लगें तो सुनिश्चित कर लें की आप लेबल पर लिखे निर्देशों का पालन करें।
    • नई बोतलों को स्टरलाइज़ करें।
    • हर दो या तीन घंटे के अपने बच्चे को खिलाएं, या जब भी वह आपको भूखा लगे।
    • यदि कोई फार्मूला फीड फ्रिज में 1 घंटे से ज़्यादा पड़ा हो या फिर जो आपके बच्चे ने अधूरा छोड़ दिया हो उसे फेंक दें।
    • फार्मूला फीड को फ्रिज में 24 घंटे से ज़्यादा न रखें। आप उसे सावधानी से गरम कर सकते हैं क्यूंकि ज़्यादातर बच्चों को वैसा पसंद होता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है।
    • अपने बच्चे को 45 डिग्री के कोण पर पकड़ें ताकि उसे कम हवा लेने में मदद मिले। उसके सिर को सहारा देते हुए उसे अर्ध-सीधी स्थिति में पकड़ें। बोतल को ऐसे झुकाएँ ताकि निप्पल और बोतल की गर्दन में फार्मूला फीड भर जाए। उसे कभी छोड़े नहीं , क्यूंकि उस से बच्चे का गला घुट सकता है।
    4
    अपने नवजात शिशु को डायपर पहनाएं: चाहे आप कपडे के या फिर डिस्पोजेबल डायपर इस्तेमाल करें, आपको अपने नवजात शिशु की देखभाल करने के लिए एक डायपर बदलने वाला विशेषज् बनना पड़ेगा और वह भी बहुत तेज़। आप जो भी तरीका इस्तेमाल करें -- और आपको अपने बच्चे को घर लाने से पहले ये तय करना होगा -- आप एक दिन में 10 बार के आसपास अपने बच्चे के डायपर बदलने के लिए तैयार होने चाहिए। यहाँ पढ़ें की आपको क्या करना है:
    • अपनी सामग्री तैयार करें । आपको एक साफ डायपर, फास्टनर, डायपर मरहम (चकत्ते के लिए), गर्म पानी का एक कंटेनर,एक स्वच्छ खीसा,और कुछ कपास गेंदों या डायपर पोंछे की ज़रुरत होगी।
    • अपने बच्चे का गन्दा डायपर निकालें। यदि वह गीला है तो, अपने बच्चे को पीठ के बल लिटाएं और डायपर हटायें और पानी वा खीसे का उपयोग करते हुए अपने बच्चे के जननांग क्षेत्र को साफ़ करें। लड़की की सफाई आगे से पीछे की ओर करें ताकि यूटीआई (UTIs) से बचा जा सके। यदि आपको कोई चकत्ते दिखे तो, उस पर थोड़ा मरहम लगाएं।
    • एक नया डायपर खोलें और धीरे से अपने बच्चे के पैर और टांगें उठा कर, उसे उसके नीचे सरकाएं। डायपर का सामने का हिस्सा बच्चे के पैरों के बीच से पेट के ऊपर की तरफ उठाएं। फिर चिपकने वाली स्ट्रिप्स आगे लाएं आराम से उन्हें चिपका दें ताकि डायपर सही और सुरक्षित तरीके से लग जाए।
    • डायपर से होने वाले चकत्तों से बचने के लिए,मल त्याग के बाद जितनी जल्दी हो सके अपने बच्चे के डायपर बदलें , और साबुन वा पानी का उपयोग करते हुए बच्चे की सफाई करें। हर रोज़ कुछ घंटों के लिए अपने बच्चे को बिना डायपर के रहने दें, ताकि बच्चे के निचले हिस्से में थोड़ी हवा लग सके।]
    5
    नवजात शिशु को स्नान करवाएं: पहले सप्ताह के दौरान, आपको बहुत ध्यान से अपने बच्चे को एक स्पंज स्नान देना चाहिए। एक बार गर्भनाल निकल जाए तो, आप नियमित रूप से एक सप्ताह में दो से तीन बार अपने बच्चे का स्नान शुरू कर सकते हैं। इसे सही तरीके से करने के लिए,आपको अपनी सामग्री, जैसे की तौलिए, साबुन, एक साफ डायपर इत्यादि पहले ही एकत्रित कर लेना चाहिए, ताकि बच्चा परेशान न हो। नहाना शुरू करने से पहले टब या बच्चे के टब को लगभग तीन इंच गरम पानी से भरें। यहाँ पढ़ें की आपको आगे क्या करना चाहिए :
    • देखें अगर आपको कोई मदद मिल सकती है। जब आप पहली बार अपने बच्चे को स्नान कराते हैं तो आप थोड़ा घबरा सकते हैं। यदि ऐसा है तो आप अपने साथी या कोई एक परिवार के सदस्य को इस काम में शामिल कर सकते हैं। इस तरीके से, एक व्यक्ति बच्चे को पानी में पकड़ कर रख सकता है और दूसरा उसे नहला सकता है।
    • ध्यान से अपने बच्चे के कपड़े उतारें। फिर, अपने एक हाथ का इस्तेमाल करते हुए बच्चे की गर्दन और हाथों को सहारा दें और उसे टब में डालें। आपके बच्चे को ठंड न लगे इसके लिए स्नान के पानी में गर्म पानी के मग डालते रहिये ।
    • हल्के साबुन का प्रयोग करें और वह आपके बच्चे की आँखों में न जाए इसलिए उसे संयम से लगाएं। अपने हाथ से या एक खीसा के साथ अपने बच्चे को धोएं, और यह सुनिश्चित करें की आप उसे ऊपर से नीचे तक और सामने से पीछे तक धीरे से साफ़ करें। अपने बच्चे के शरीर, गुप्तांग, खोपड़ी, बाल, और उसके चेहरे पर एकत्रित कोई भी सूखे बलगम को अच्छे से साफ़ करें।
    • अपने बच्चे को गर्म पानी से धोएं। एक खीसे से अपने बच्चे को अच्छे से साफ करें। उसकी गर्दन और सिर को अपने हाथ का सहारा देते हुए, बच्चे को टब से बाहर निकालें। सावधान रहे -- बच्चे गीले होने पर फिसल सकते हैं।
    • एक हूडेड तौलिये में अपने बच्चे को लपेटें और उसे सुखा लें। उसके बाद, अपने बच्चे को डायपर डालें और कपडे पहनाएं, और फिर उसे चूमें ताकि उसका नहाने के साथ सकारात्मक विचार हो।
    6
    अपने नवजात शिशु को सम्भालना जानें: आप यह देखकर हैरान होंगे की आपका नवजात शिशु कितना छोटा और नाज़ुक है, लेकिन कुछ बुनियादी तकनीकों के साथ,आप कुछ ही समय में अपने बच्चे को संभालने के बारे में और अधिक आत्मविश्वास महसूस करने लगेंगे। यहाँ कुछ चीज़ें पढ़ें जो आपको करनी चाहिए:
    • अपने बच्चे को पकड़ने से पहले अपने हाथों को धो लें और साफ़ कर लें। नवजात शिशु संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अभी इतनी मजबूत नहीं होती । सुनिश्चित करें कि आपके हाथ -- और उन के हाथ जो आपके बच्चे को पकड़ते हैं -- बच्चे से संपर्क बनाने से पहले साफ हों।
    • अपने बच्चे के सिर और गर्दन को सहारा दें। अपने बच्चे को पकड़ने के लिए,आप जब भी उसे उठाएं तो उसके सिर को आराम से पकड़ें और जब आप उसे सीधा खड़ा कर रहे हों या नीचे रख रहे हों तो उसके सिर को सहारा दें। बच्चे इस समय तक अपने सिर को सहारा नही दे सकते, इसलिए उसके सिर को यहाँ वहां न झुकने दें।
    • अपने बच्चे को झटके देने से बचें, चाहे आप उसके साथ खेल रहे हों या फिर नाराज़ हों। इस से मस्तिष्क में खून बह सकता है, जो मौत का कारण बन सकता है। ना ही , उसे झटके देकर उठाएं -- इसके बजाय, उसके पैरों में गुदगुदी करें या यह एक कोमल स्पर्श दें ।
    • अपने बच्चे को लपेटना सीखें। इस से पहले कि वो 2 महीने का हो, यह बच्चे को सुरक्षित महसूस कराने का एक अच्छा तरीका है ।
    7
    अपने नवजात शिशु को पकड़ें: आप यह सुनिश्चित करें की जब भी आप अपने बच्चे को पकड़ें तो उसके सिर और गर्दन को जितना हो सके उतना सहारा दें। आपको अपने बच्चे के सिर को इस तरह अपनी कोहनी के अंदर वाले भाग पर टिकाना चाहिए, ताकि उसका शरीर आपकी कलाई के ऊपर आराम करे। उसका बाहरी कूल्हा और टांगों का ऊपरी हिस्सा इस तरह आपके हाथ पर आराम करे, ताकि आपके हाथ का अंदर वाला हिस्सा उसकी छाती और पेट पर आये। बच्चे को आराम से पकड़ें और अपना सारा ध्यान उसे दें।[३]
    • आप अपने बच्चे के पेट को अपनी छाती के ऊपर वाले हिस्से पर रख कर भी पकड़ सकते हैं, और उसी तरफ वाली बाजू से उसका शरीर पकड़ें , और दूसरी बाजू से पीछे की तरफ से बच्चे के सिर को सहारा दें।
    • अगर आपके बच्चे के छोटे भाई बहन या कसिनस है या वह उन लोगों के आसपास है जो बच्चों का ख़याल रखने से अपरिचित हैं,तो उन्हें ध्यान से बच्चे को पकड़ने के बारे में हिदायत दें और यह सुनिश्चित करें की उनके पास कोई जानकार व्यक्ति बैठा हो ताकी बच्चा सुरक्षित रहे।
    3 की विधि 2:आपके नवजात शिशु को स्वस्थ रखें
1
अपने बच्चे को हर दिन "टमी टाइम" दें: क्यूंकि आपका बच्चा ज़्यादा समय अपनी पीठ के भार ही लेटता है ,इसलिए यह आवश्यक है की आप अपने बच्चे को उसके पेट के भार भी लेटने का समय दें, ताकि वह मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से विकसित हो और उसके हाथ, सिर, और गर्दन मजबूत बनें। कुछ डॉक्टरों का कहना है की बच्चों को एक दिन में 15-20 मिनट पेट के सहारे लेटना चाहिए, जबकि कुछ यह कहते हैं की आपको अपने बच्चे को दिन के अलग अलग समय 5 मिनट तक पेट के सहारे लिटाना चाहिए।
  • बच्चे के जन्म के एक सप्ताह बाद आप टमी टाइम शुरू कर सकते हैं,बस एक बार बच्चे की गर्भनाल निकल जाए।
  • टमी टाइम मजेदार बनाने के लिए, आप अपने बच्चे के स्तर पर आएं। आँख से संपर्क बनाएं, अपने बच्चे को गुदगुदाए और उसके साथ खेलें।
  • टमी टाइम कठिन काम है, और कुछ बच्चे इसके लिए प्रतिरोधी हो जाते हैं। अगर ऐसा होता है तो -- आश्चर्य न करें -- न ही उसे करना छोड़ें ।
2
अपने नवजात शिशु के गर्भनाल स्टंप की देखभाल करें: आपके बच्चे की गर्भनाल स्टंप उसके जीवन के पहले दो हफ्तों के भीतर गिर जानी चाहिए । उसका रंग सूखने पर पीले-हरे से भूरा और काला होगा और वह खुद से ही गिर जायेगी। उसके गिरने से पहले उसकी देखभाल करना महत्वपूर्ण है ताकि संक्रमण से बचा जा सके। यहाँ देखिये आपको क्या करना चाहिए:[४]
  • इसे साफ रखें। इसे सादे पानी से साफ करें और एक स्वच्छ और शोषक कपड़े से सुखाएं। सुनिश्चित करें की उसे छूने से पहले आप अपने हाथ धो लें। जब तक वह गिर न जाए तब तक अपने बच्चे को सपंज से नहलाएं।
  • इसे सूखा रखें। उसे हवा में रखें ताकि उसका बेस सूख जाए, और अपने बच्चे के डायपर का अगला हिस्सा नीचे फोल्ड कर दें ताकि वह किसी चीज़ से कवर न हो।
  • उसे खुद से खींचने की इच्छा से बचें। स्टंप को अपना समय लेकर गिरने दें।
  • संक्रमण के लक्षण पर नज़र रखें। स्टंप के नज़दीक थोड़ा सूखा खून या पापड़ी दिखना स्वाभाविक है; लेकिन यदि स्टंप एक बदबूदार मुक्ति या पीले मवाद पैदा करता है , उससे खून निकालता रहे या वह सूज जाए और लाल हो जाए तो आपको तुरंत ही उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
3
नवजात शिशु को चुप कराना सीखें: अगर आपका बच्चा परेशान है तो, तुरंत ही उसका सही कारण ढूंढना आसान नही होता, हालांकि कुछ नुस्के हैं जिन्हे आप आज़मा सकते हैं। गीले डायपर के लिए जाँच करें। उन्हें खिलाने की कोशिश करें। अगर वह काम नहीं करता तो, यदि ठण्ड है तो कपडे की एक और परत डालें और अगर गर्मी है तो एक परत हटा दें। कभी कभी, आपका बचा बस यह चाहता है की आप उसे उठाएं या फिर हो सकता है की वो बहुत ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा हो। जैसे जैसे आप अपने नवजात शिशु को जानने लगेंगे वैसे वैसे आपको खुद ही पता लग जाया करेगा की उसे क्या परेशानी है।[५]
  • आपके बच्चे को सिर्फ डकार लेने की ज़रूरत हो सकती है।
  • उन्हें धीरे से हिलाने और गान गाने या फिर लोरी गाने से भी मदद मिल सकती है। यदि वह काम न करे तो उन्हें एक पेसिफायर दीजिए। वे थके हुए भी हो सकते हैं इसलिए उन्हें नीचे लेटा दें। कभी कभी, बच्चों सिर्फ रोते हैं और आपको उन्हें वैसा ही रहने देना पड़ता है जब तक वे सो न जाएँ।
4
अपने नवजात शिशु के साथ बातचीत करें: आप अभीअपने बच्चे के साथ नहीं खेल सकते, लेकिन वे भी हमारी तरफ ऊब जाते हैं। उन्हें पार्क में टहलने के लिए ले जाएँ, उनसे बाते करें ,जिस कमरे में वे अधिक समय बिताते हैं वहां तसवीरें लगाएं , संगीत सुनें, या उन्हें गाडी में घूमने ले जाएँ। याद रखें की आपका बच्चा सिर्फ एक बच्चा है और वह अभी किसी कठोर खेल के लिए तैयार नहीं; बच्चे को असभ्य ढंग से न पकड़ें और न ही उसे ज़्यादा ज़ोर से हिलाएं और उसके साथ जितना अधिक कोमल हो सकें, उतना होयें।
  • शुरुआत में,सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अपने बच्चे के साथ जितना अधिक सम्बन्ध स्थापित कर सकें उतना करें। इसका मतलब है की आप अपने बच्चे को सहलाएं, उसे प्यार से पकड़ें, बच्चे को कुछ त्वचा से त्वचा का संपर्क दे,या फिर अपने बच्चे को एक शिशु मालिश देने पर विचार करें।
  • शिशु मुखर आवाज़ों से प्यार करते हैं और आपके बच्चे के लिए बात करना, बड़बड़ाना,गाना गाना या कूँ कूँ करना शुरू करना कभी भी ज़्यादा जल्दी नही है। आप अपने बच्चे के साथ सम्बन्ध बनाते समय कोई संगीत बजाएं, या फिर ऐसे खिलौनों के साथ खेलें जो की शोर करते हो, जैसे की झुनझुना या मोबाइल।
  • कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में छूने पर अधिक संवेदनशील होते हैं और हलके होते हैं , इसलिए यदि आपका बच्चा आपके सम्बन्ध बनाने के प्रयास को अच्छी तरह से प्रतिक्रिया न दे रहा हो तो आप शोर और रौशनी का उपयोग कर सकते हैं, तब तक जब तब उसे उनकी आदत न हो जाए।
5
अपने नवजात शिशु को नियमित रूप से डॉक्टर के पास ले जाएँ: आपके बच्चे को अपने पहले वर्ष के दौरान अनुसूचित चेक अप और शॉट के लिए, डॉक्टर से लगातार भेंट करनी पड़ेगी। बहुत से नवजात शिशु की डॉक्टर से पहली मुलकात आपके और उसके हॉस्पीटल से छुट्टी होने के सिर्फ़ 1-3 दिन बाद हो सकती है। उसके बाद, चिकित्सक का प्रत्येक कार्यक्रम थोड़ा भिन्न होगा,लेकिन आपको आम तौर पर अपने बच्चे को जन्म के बाद एक महीने से 2 सप्ताह कम् पर, दूसरे महीने के बाद,और फिर हर दूसरे महीने में डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। [६] It's important to schedule regular visits with your baby to make sure that your baby is growing normally and receiving the necessary care.[७]
  • यदि आप कुछ असामान्य चीज़ देखें, तो यह ज़रूरी है की आप तुरंत डॉक्टर से मिलने जाएँ; चाहे आपको ये यकीन न हो की जो हो रहा है वो असामान्य है, फिर भी आपको हमेशा डॉक्टर के कार्यालय में फ़ोन करके जांच करनी चाहिए।
  • जो लक्षण आपको देखने चाहिए उनमे शामिल हैं:
    • निर्जलीकरण: प्रति दिन तीन से कम गीले डायपर, अत्यधिक तंद्रा, शुष्क मुँह
    • मल त्याग की समस्या: पहले दो दिनों के दौरान कोई सञ्चालन नहीं, मल में सफेद बलगम,मल में फ्लेक्स या लाल रंग की धारियाँ, ज़्यादा उच्च या कम तापमान।
    • श्वसन समस्याएँ: घुरघुराना,नाक का फूलना,सांस लेने में तेज़ी या शोर,सीने में दावा-वापसी
    • गर्भनाल स्टंप की समस्याएं: स्टंप में मवाद, गंध, या उससे खून निकलना।
    • पीलिया: छाती, शरीर, या आँखों में पीला रंग दिखना।
    • लंबे समय तक रोना: तीस मिनट से अधिक रोना।
    • अन्य बीमारियां: लगातार खाँसी, दस्त,पीलापन, दो से अधिक लगातार फीडिंग्स के लिए सशक्त उल्टी, प्रति दिन 6 की तुलना में कम फीडिंग्स।
6
अपने बच्चे को कार की सवारी के लिए तैयार करें: आपको अपने बच्चे के जन्म से पहले उसकी कार की सवारी के लिए तैयार रहने की आवश्यकता होगी, क्यूंकि आपको अपने बच्चे को हॉस्पिटल से घर ले जाने का एक रास्ता चाहिए होगा। आपको एक कार की सीट लाने की आवश्यकता होगी जो नवजात शिशुओं के लिए उपयुक्त हो और यह सुनिश्चित कर लें की वह आपके बच्चे के लिए सुदृढ़ और सुरक्षित है। हालांकि आपको अपने नवजात शिशु के साथ कार में अधिक समय नही बिताना होगा , लेकिन कुछ माताओं का यह मानना है की बच्चे को कार की सवारी पर ले जाने से उसको सुलाने में मदद मिलती है।
  • आपको अपने बच्चे के लिए एक शिशु सीट भी लेनी चाहिए। ये सीट आपके बच्चे को बैठने में मदद करती हैं ,पर उसे कार में सुरक्षित रखने में 'नहीं'। इस प्रकार की सीट में, बेस की सतह फिसलने वाली नही होनी चाहिए और वह सीट की तुलना में चौड़ी होनी चाहिए, और उस में एक सुरक्षित ताला तंत्र होना चाहिए, और साथ में उसका कपडा धुलने वाला होना चाहिए। कभी भी अपने बच्चे को सीट पर किसी ऊंची सतह पर न बिठाएँ जहाँ से उसे गिरने का खतरा हो।
  • बच्चे की सुरक्षा सीटों के लिए, यह सुनिश्चित करें की वह सीट मोटर वाहन सुरक्षा मानक 213 से मेल खाए और वास्तव में आपका बच्चा उसमे फिट बैठ सके। शिशु और छोटे बच्चे जब तक २ साल के नही हो जाते तब तक उन्हें रियल-फेसिंग सीट में बैठना चाहिए।
3 की विधि 3:नए माता पिता होने का तनाव कम करें

1
जितनी सहायता प्राप्त कर सकें उतनी करें: यदि आप अपने बच्चे को अकेले पाल रहे हैं, तो आपको जितना संभव हो उतनी मानसिक और भावनात्मक शक्ति की आवश्यकता होगी | यदि किस्मत से आपके पास एक देखभाल करने वाला पति, माता-पिता या सास-ससुर हैं तो, आपके बच्चे के जन्म के समय कुछ अतिरिक्त मदद की व्यवस्था करना महत्वपूर्ण है। यदि आप एक नर्स रख सकती है, तो बढ़िया है,लेकिन यदि नहीं,तो देखें की आप किसी ऐसे व्यक्ति से मदद ले सकते हैं जो जानता हो की वह क्या कर रहा है।
  • भले ही आपका बच्चा अधिक समय सोने में लगाता हो, आपको थोड़ा अभिभूत महसूस हो रहा होगा, और आपको जितनी अधिक मदद मिलेगी, आपको अपने बच्चे को पकड़ने में उतना ही ज़्यादा आत्मविश्वास आएगा।
2
एक मजबूत समर्थन प्रणाली बनाएं: आपको अपने परिवार और अपने लिए एक अच्छी समर्थन प्रणाली की जरूरत है। वह एक पति, प्रेमी, या आपके खुद के माता-पिता हो सकते है। आपको अपने और अपने बच्चे के लिए उसके बचपन के दौरान हमेशा किसी की जरूरत होगी। अगर आप अपने बच्चे को पूरी तरह से अकेले ही पाल रहे हैं तो, सम्भावना है की आपको कोई मुसीबत हो सकती है या फिर आप बहुत थकान महसूस कर सकती हैं।
  • यह कहने के बाद, आपको मिलने के घंटे और नियम भी स्थापित करने पड़ेंगे। बहुत सारे दोस्तों और परिवार के सदस्यों की बच्चे को देखने के लिए अप्रत्याशित यात्राओं से और अधिक तनाव पैदा हो सकता है।
3
अपना ख्याल रखें: हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे की देखभाल करें, पर इसका मतलब यह नही की आप खुद की उपेक्षा करें। सुनिश्चित करें की आप नियमित रूप से स्नान लें, स्वस्थ आहार खाएं, और जितनी अधिक हो सके उतनी नींद लें। आप और आपके पति एक ऐसी प्रणाली बना सकते हैं जिसमे आप दोनों को अपनी देखभाल करने के लिए कुछ समय मिले। [८]
  • हालांकि यह वो समय नहीं जब आप एक नया शौक या एक संस्मरण लेखन शुरू करें, आप यह सुनिश्चित करें कि आप थोड़ा व्यायाम करें, अपने दोस्तों को कभी कभी मिलने जाएँ, और जब भी हो सके थोड़ा "खुद के लिए समय " निकालें।
  • यह न सोचें की आपके बच्चे के पैदा होने के बाद आप खुद के लिए समय चाहने से मतलबी बन रही हैं। यदि आप अपना ख्याल रखने के लिए थोड़ा समय निकालेंगी, तो आप अपने बच्चे का भी बेहतर ध्यान रख पाएंगी।
  • खुद पर ज़्यादा बोझ न डालें। यह न तो पूरे घर को साफ़ करने का समय है और न ही 10 पौंड कम् करने का।
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अपनी अनुसूची सही करें: कुछ भी हो सकता है,विशेष रूप से आपके बच्चे के जीवन के पहले महीने के दौरान। सुनिश्चित करें की आपने ज़्यादा योजनाएं न बनाई हों और आप अपने बच्चे को उसकी जरूरत का समय देने के लिए तैयार हैं। लोगों को पहले ही बच्चे के साथ अपनी व्यस्तता बताकर अपना तनाव कम कीजिये और खुद को ज़्यादा मेलजोल करने के लिए या अपने बच्चे के साथ बहार जाने के लिए विवश न करें, जब तक आप वह खुद न चाहती हों।
  • हालांकि आपको अपने बच्चे की जरूरत का समय उसे देना चाहिए, पर इसका यह मतलब नही की आप अपने बच्चे के साथ घर में ही छिप जाएँ। जितना हो सके उतना घर से बाहर निकलें -- यह आपके और आपके बच्चे के लिए बेहतर होगा। 
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सवारी के लिए तैयार हो जाएँ: चाहे आपको यह लगे की आपके नवजात शिशु के साथ बिताया एक दिन 100 घंटों के बराबर है, पर आप जल्दी ही देखेंगे की आपका बच्चा आपके सोचने से पहले ही नवजात चरण पार कर लेगा। (लोग यह बहस करते हैं की बच्चे 28 दिनों के बाद नवजात चरण पार करते हैं या फिर 3 महीने बाद). इसलिए, बहुत सारी भावनाएं महसूस करने के लिए तैयार रहिये : अपने बच्चे को देखने पर तीव्र आनन्द,आप सब कुछ सही कर रही है या नहीं इसका भय, अपनी आज़ादी खोने का आतंक , अपने निःसंतान मित्रों से दूरी। [१०]
  • ये सारी भावनाएं पूरी तरह से प्राकृतिक हैं,और जब आप अपने बच्चे के साथ एक नया जीवन शुरू करेंगी तो आपको जो भी हिचकिचाहट या भय होगा वह सब फीका पड़ जाएगा।

  • SALAAAH
  • बड़े होते हुए उनकी तस्वीरें ले।
  • उनके लिए गायें!
  • एक इंसान की देखभाल करना मुश्किल होता है। लेकिन आपके माता पिता ने आपके लिए ऐसा किया था। उनसे और अपने डॉक्टर से सलाह लें।
  • अपने बच्चे को दूसरों को पकड़ने दें ताकि उन्हें दूसरों के पकड़ने की भी आदत पड़े।
  • उनके लिए जोर से पढ़ें।
  • जब आपके पालतू जानवर आपके बच्चे के आस पास हों तो उनकी निगरानी करें। यह आपके बच्चे "और" आपके पालतू जानवर दोनो के भले के लिए है। आपका पालतू जानवर आसानी से आपके बच्चे को चोट पहुंचा सकता है, या फिर बच्चा ज़्यादा कठोर हो और आपके पालतू जानवर को चोट पहुंचा दे।
  • अक्सर उन्हें पकड़ें।
  • ज़्यादा शोर उन्हें डराता है।
  • जब आप नींद की वजह से पहले ही चिड़ रहे हों तो अपने आप को बच्चा पकड़ने के लिए मजबूर न करें। आप बच्चे को चोट पहुंचा सकते हैं। आप के आसपास अपने परिवार या दोस्तों से सहायता लेने की कोशिश करें, और सोने के लिए थोड़ा समय निकालें।

चेतावनी

  • अपने नवजात शिशु को कभी भी "साधारण" खाना न खिलाएं। उनके पास उसे चबाने के लिए दांत नहीं होते, और उनके पाचन तंत्र अभी तक तैयार नहीं होते।
  • अपने बच्चे को स्नान देते समय हमेशा उन पर निगरानी रखें। बच्चा एक इंच से भी कम पानी में डूब सकता है।
  • डॉक्टर के पास जाएँ, यदि आपका बच्चा:
    • आवाज़ों या दृश्यों को जवाब नही देता।
    • उसका चेहरा सामान्य से अधिक पीला या नीला हो।
    • पेशाब नहीं करता
    • खाता नहीं
    • बुखार है

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • बच्चे के लिए कपड़े
  • पैसा
  • सहायता
  • बच्चे के लिए फॉर्मूला
  • कार की सीट और कार
  • स्ट्रॉलर


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